

रिपोर्ट- आशीष साहू
कानपुर। शहर के काकादेव थाना इलाके के अंतर्गत राजा पुरवा बस्ती में गरीब व मजदूर वर्ग के लोग निवास करते हैं यहीं पर 40 वर्षीय विजय बहादुर अपनी पत्नी वा चार बच्चों के साथ मजदूरी करके अपने घर का पालन पोषण करता था. लेकिन कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन ने उसका काम बंद कर दिया इसकी वजह से धीरे धीरे घर में रखा हुआ खाना और पैसा खत्म हो गया. जैसे तैसे वह घर चलाता रहा और बच्चों का पेट भरता रहा लेकिन जब एक दिन जब बच्चों की भूख विजय से ना देखी गई तो उसने इस दुनिया से चले जाने का फैसला कर लिया और फांसी लगाकर जान दे दी. पड़ोसियों के मुताबिक विजय बहादुर की मदद के लिए कई लोगों ने कई बार हाथ भी बढ़ाएं लेकिन शायद संकोच की वजह से उसने मांगना सही नहीं समझा जिसकी वजह से उसे यह कदम उठाना पड़ा लोगों का यह भी कहना है. कि घर में कुछ जेवर भी थे जिनको बेचने का प्रयास भी किया लेकिन दुकान ना खुली होने की वजह से जेवर नहीं बेच सका यह कदम विजय ने तब उठाया जब पत्नी बच्चों के साथ कुछ खाने की इंतज़ाम के लिए घर से बाहर निकली थी ऐसे में उसने भूखे बच्चों के दर्द को ना सहन कर पाने की वजह से फांसी का फंदा अपना लिया. विजय अपने चार बच्चों जिनमें तीन बेटे और एक बेटी के साथ रहता था जिसमें बेटी सबसे छोटी थी कई दिनों की भूखी वजह से उसकी बेटी की तबीयत भी बिगड़ रही थी क्योंकि पत्नी के मुताबिक कई दिनों से सूखी रोटी या पानी से भूख को मिटाने का काम किया जा रहा था. ऐसे में सवाल यह भी उठता है सरकारी दावे और सामाजिक संस्थाएं आखिर कहां थी जब एक परिवार भूख से तड़प रहा था.
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